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कविता

वह नहीं कहती

अशोक वाजपेयी


उसने कहा
उसके पास एक छोटा-सा हृदय है
जैसे धूप कहे
उसके पास थोड़ी-सी रौशनी है
आग कहे
उसके पास थोड़ी सी गरमाहट---

धूप नहीं कहती उसके पास अंतरिक्ष है
आग नहीं कहती उसके पास लपटें
वह नहीं कहती उसके पास देह।

 


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हिंदी समय में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ



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